बिहार: भारत के दिल में बसा बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि एक ऐसी भूमि है जो हजारों साल पुरानी चीजो, धार्मिक परंपराओं और क्रांतिकारी आंदोलनों की साक्षी रही है। इस राज्य की मिट्टी में इतिहास बसा है, जिसने न केवल भारत को आकार दिया, बल्कि विश्व को भी गहरी छाप दी। बिहार वह स्थान है जहाँ ज्ञान, धर्म और संस्कृति का उदय हुआ और जिसने पूरी दुनिया को अपने प्रभाव कर दिया।
बिहार का नाम प्राचीन संस्कृत शब्द “विहार” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘मठ’ या ‘धार्मिक निवास जगह’। यह राज्य ऐतिहासिक रूप से बौद्ध और जैन धर्म का केंद्र रहा है। यही वह धरती है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई, महावीर का जन्म हुआ और चंद्रगुप्त मौर्य जैसे महान सम्राट ने शासन किया। इन तमाम ऐतिहासिक घटनाओं की वजह से बिहार एक ऐसी विरासत बन गया है जो आज भी गर्व से सिर उठाकर खड़ा है।
मौर्य और गुप्त साम्राज्य का गौरवशाली दौर
अगर हम प्राचीन भारत के सबसे शक्तिशाली और संगठित साम्राज्य की बात करें तो मौर्य साम्राज्य का नाम सबसे पहले आता है, जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की मदद से इस साम्राज्य की नींव रखी और फिर उनके पौत्र सम्राट अशोक ने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सम्राट अशोक के समय में बिहार बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बना और उनके बनवाए स्तूप आज भी बिहार की शान हैं।

मौर्य वंश के बाद गुप्त वंश का उदय हुआ जिसे भारत का “स्वर्ण काल” भी कहा जाता है। सम्राट समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय जैसे शासकों ने बिहार को शिक्षा, विज्ञान, कला और साहित्य का केंद्र बना दिया। नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने विश्व स्तर पर बिहार को एक विद्या केंद्र के रूप में पहचान दिलाई, जहाँ दूर-दराज से विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे।
बौद्ध धर्म और बिहार की आध्यात्मिक पहचान
बिहार को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि माना जाता है। गया जिले के बोधगया में भगवान बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह जगह आज भी पूरी दुनिया के बौद्ध अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थ जगह है। यही नहीं, नालंदा और राजगीर जैसे स्थानों ने बौद्ध धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और चीन, जापान, थाईलैंड जैसे देशों से तीर्थयात्री यहां आने लगे।
बिहार की भूमि पर ही भगवान महावीर का जन्म हुआ, जिन्होंने जैन धर्म को एक नई दिशा दी। यही कारण है कि बिहार न केवल बौद्ध धर्म का बल्कि जैन धर्म का भी प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां की ऐतिहासिक गुफाएं, स्तूप, मठ और मंदिर इस बात की गवाही देते हैं कि यह राज्य केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध रहा है।
ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता संग्राम में बिहार की भूमिका
बिहार ने स्वतंत्रता संग्राम में भी एक अच्छी भूमिका निभाई है। 1857 की क्रांति में बाबू कुंवर सिंह जैसे वीर योद्धा ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ तलवार उठाई और शौर्य का परिचय दिया। इसके बाद गांधी जी के नेतृत्व में 1917 में चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत हुई, जिसने भारत में असहयोग आंदोलन की नींव रखी। यह आंदोलन न केवल बिहार की जनता को जोड़ा, बल्कि पूरे देश को एक नई चेतना दी।
जेपी आंदोलन भी बिहार की ही धरती से शुरू हुआ था, जिसने 1970 के दशक में इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला कर रख दिया। इस आंदोलन ने भारतीय राजनीति को एक नया मोड़ दिया और बिहार की भूमि को जन आंदोलनों की जन्मजगही बना दिया। आज भी जब लोग लोकतंत्र और जनहित की बात करते हैं, तो बिहार के इन ऐतिहासिक आंदोलनों का जिक्र ज़रूर होता है।
बिहार से जुड़ी कुछ दिलचस्प और गौरवशाली बातें
बिहार से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो आम लोगों को शायद न पता हो, लेकिन ये बातें राज्य की गरिमा को और बढ़ाती हैं। नालंदा विश्वविद्यालय, जो पांचवीं शताब्दी में स्थापित हुआ था, वह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था। इसमें 10,000 से अधिक छात्र और 2,000 शिक्षक रहते थे, और यह शिक्षा का एक अच्छा केंद्र था। इतना ही नहीं, यहां की लाइब्रेरी इतनी विशाल थी कि उसे जलाने में कई महीने लग गए थे।
बिहार के मिथिला क्षेत्र में विकसित “मधुबनी पेंटिंग” आज वैश्विक स्तर पर अपनी एक खास पहचान बना चुकी है। यह पारंपरिक कला महिलाओं द्वारा पीढ़ियों से घर की दीवारों और आंगनों पर उकेरी जाती रही है। वहीं भोजपुरी, मगही, मैथिली जैसी भाषाएं न केवल बिहार में बल्कि विदेशों में भी बोली जाती हैं, खासकर मॉरिशस, फिजी और सूरीनाम जैसे देशों में। यह दर्शाता है कि बिहार की संस्कृति ने दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ी है।
आज का बिहार और भविष्य की दिशा
हालांकि बिहार ने समय के साथ कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन आज यह राज्य फिर से नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। शिक्षा, तकनीक, कृषि और बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार हो रहा है। आईआईटी पटना, एम्स और कई अन्य उच्च शिक्ष संस्थानों की स्थापना बिहार को फिर से ज्ञान की धरती बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। सरकार और समाज दोनों मिलकर राज्य के विकास में जुटे हैं और यह उम्मीद की जाती है कि आने वाला बिहार फिर से उसी गौरवशाली इतिहास को दोहराएगा।
बिहार का इतिहास जितना पुराना और गौरवशाली है, उसका भविष्य भी उतना ही उज्ज्वल हो सकता है। यह राज्य न केवल अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा है बल्कि नई पीढ़ियों को भी प्रेरणा देने की शक्ति रखता है। यही कारण है कि आज भी जब भारत की पहचान की बात होती है, तो बिहार का नाम गर्व से लिया जाता है।