IAS बनाने की फैक्ट्री क्यों कहलाता है बिहार? जानिए इसके पीछे की सच्चाई

IAS: भारत में जब भी सिविल सेवा परीक्षा की बात होती है, तो सबसे पहले जो राज्य लोगों के मन में आता है, वह है बिहार। बिहार लंबे समय से इस देश को सबसे ज्यादा IAS अधिकारी देने वाला राज्य बना हुआ है। यहां के लोगोंओं में प्रशासनिक सेवा को लेकर जितना जुनून है, उतना शायद ही किसी और राज्य में देखने को मिले। लेकिन आखिर क्या वजह है कि बिहार से ही सबसे अधिक IAS बनने की कहानियां सामने आती हैं?

यह कोई संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे कई सामाजिक, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। बिहार का शैक्षणिक इतिहास काफी पुराना है और यहां की सामाजिक व्यवस्था भी लोगोंओं को पढ़ाई और संघर्ष की ओर ले जाती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि बिहार IAS बनने में सबसे आगे क्यों है।

शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना

बिहार में शिक्षा को बहुत सम्मान दिया जाता है और यह सम्मान केवल दिखावा नहीं बल्कि व्यवहार में भी देखने को मिलता है। यहां के गांवों और कस्बों में भी मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं। बहुत से लोग गरीबी और संसाधनों की कमी के बावजूद अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ते। यही कारण है कि यहां के छात्र कम संसाधनों में भी प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। जब शिक्षा को ही सबसे बड़ा हथियार माना जाए, तो उसमें सफलता की संभावना भी बढ़ जाती है।

IAS
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पुराना शैक्षणिक और बौद्धिक इतिहास

बिहार का नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों का इतिहास इसकी गवाही देते हैं कि यह भूमि हमेशा से ज्ञान की राजधानी रही है। इस ऐतिहासिक बौद्धिक विरासत का प्रभाव आज भी बिहार के लोगोंओं पर पड़ता है। यहां के छात्र बचपन से ही पढ़ाई और ज्ञान के प्रति प्रेरित होते हैं। उन्हें यह बताया जाता है कि प्रशासनिक सेवा जैसे क्षेत्र में जाना सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि समाज सेवा और प्रतिष्ठा का जरिया है। इस सोच के कारण यहां के छात्र बचपन से ही IAS बनने का सपना देखने लगते हैं।

प्रतिस्पर्धी माहौल और सिविल सेवा का क्रेज

बिहार में लोगोंओं के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा है। एक छात्र अगर UPSC की तैयारी करता है तो उसका असर आस-पास के छात्रों पर भी पड़ता है। हर मोहल्ले में आपको सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्र मिल जाएंगे। इस प्रतिस्पर्धी माहौल में हर कोई खुद को साबित करने की कोशिश में लगा रहता है। यह माहौल छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और उन्हें कठिन परीक्षाओं में भी टिके रहने की ताकत देता है।

परिवार और समाज से मिलने वाला सपोर्ट

बिहार में किसी भी छात्र को IAS की तैयारी करने के लिए उसका पूरा परिवार और समाज साथ देता है। चाहे वह आर्थिक सहायता हो या भावनात्मक समर्थन, हर तरफ से उसे प्रोत्साहन मिलता है। यह सहयोग उस छात्र को आगे बढ़ने की ताकत देता है। बहुत बार देखा गया है कि एक पूरा परिवार अपने एक बच्चे की सिविल सेवा की तैयारी में जुटा होता है। ऐसा सामाजिक समर्थन कम ही जगहों पर देखने को मिलता है।

संघर्ष और साधनों की कमी से बनी जुझारू प्रवृत्ति

बिहार के अधिकांश छात्र सीमित साधनों के बीच में रहकर पढ़ाई करते हैं। कई बार तो बिजली, इंटरनेट या अच्छी कोचिंग की सुविधा भी मौजूद नहीं होती, फिर भी वे हार नहीं मानते। यही संघर्षशीलता उन्हें अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक मजबूत बनाती है। जब कोई छात्र कठिन परिस्थितियों में सफलता प्राप्त करता है, तो वह केवल ज्ञान से नहीं बल्कि अपनी जुझारू प्रवृत्ति से भी जीतता है। बिहार के छात्रों की यही जिद और मेहनत उन्हें UPSC जैसी कठिन परीक्षा में सफल बनाती है।

दिल्ली और अन्य शहरों में बिहारी छात्रों की उपस्थिति

दिल्ली के राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर जैसे इलाके UPSC तैयारी के लिए प्रसिद्ध हैं और वहां बिहार के छात्रों की संख्या सबसे अधिक होती है। इन इलाकों में बिहार के छात्रों का एक नेटवर्क तैयार हो गया है, जो एक-दूसरे को सपोर्ट करता है। वहां पढ़ने वाले छात्रों की दिनचर्या और अनुशासन भी प्रेरणादायक होता है। वे एक-दूसरे के एक्सपिरेंस से सीखते हैं और टीमवर्क के साथ आगे बढ़ते हैं। इस सांस्कृतिक मजबूती ने भी बिहार को IAS निर्माण का केंद्र बना दिया है।

कोचिंग संस्थानों और मॉडल्स की सफलता

बिहार में कई ऐसे सफल कोचिंग संस्थान और सिविल सेवा कोचिंग मॉडल हैं, जिन्होंने छात्रों को सही दिशा दी है। पटना जैसे शहर में भी अब UPSC की तैयारी के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा बन गया है। इसके अलावा दिल्ली, भोपाल और जयपुर में बिहार के छात्रों के लिए विशेष सहायता समूह और गाइडेंस प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जो उन्हें रणनीतिक तैयारी करने में मदद करते हैं। ये संस्थान और एक्सपिरेंस IAS बनने की राह को सरल बनाते हैं।

IAS को लेकर सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रेरणा

बिहार में IAS बनने को केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि समाज में इज्जत और सम्मान के रूप में देखा जाता है। एक IAS अधिकारी पूरे गांव या जिले के लिए प्रेरणा स्रोत बनता है। उसके जीवन की सफलता नई पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। हर साल जब बिहार से कोई नया छात्र IAS बनता है, तो वह औरों के लिए रोल मॉडल बन जाता है। इस तरह यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ता चला जाता है।

बिहार का माहौल, संघर्षशीलता, सामाजिक प्रेरणा, शैक्षणिक पृष्ठभूमि और परिवार का सहयोग — ये सारी चीज़ें मिलकर IAS बनने के सपने को एक दिशा देती हैं। यहां हर गली, हर मोहल्ले, हर गांव में कोई न कोई बच्चा IAS बनने का सपना लिए चलता है। यह सिर्फ आकांक्षा नहीं, बल्कि एक परंपरा बन चुकी है। इसलिए जब भी यह सवाल उठता है कि “सबसे ज्यादा IAS बिहार से ही क्यों बनते हैं?”, तो इसका जवाब केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि वहां की मिट्टी, सोच और संघर्ष में छिपा होता है।

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